पालोजी महाराज की गुदडी से जुड़े अद्भुत रहस्य

।। ओम नमो आदेश।।
चैत्र मास के सप्तमी को पूनरासर में पालोजी महाराज की गुदरी के दर्शन

पूनरासर की धरा पर पालोजी महाराज ने लगातार 12 साल तक कठिन तपस्या की , जिसके फलस्वरूप पालो जी महाराज को गुरु गोरखनाथ जी महाराज के दर्शन हुए तथा गोरखनाथ जी महाराज ने पालोजी महाराज को जसनाथी संप्रदाय को आगे बढ़ाने तथा इस समाज में मौजूद अंधविश्वास तथा पाखंड को मिटाने के लिए आदेश दिया।
इस आदेश की अनुपालना पर पालो जी महाराज ने जगह जगह पर भ्रमण किया तथा लोगों को जसनाथी संप्रदाय के बारे में बताया।
इसी दौर में एक समय पालोजी महाराज अपने जसनाथी संप्रदाय का प्रचार प्रसार एवं मौजूद कुरीतियों को खत्म करने के लिए 1 दिन चाऊ में जाकर बैठ गए ।
चाऊ मैं प्रवेश करने पर उन्होंने एक पवित्र रेत के टीले पर पेड़ की छाया में बैठकर भगवान की भक्ति में लीन हो गए तथा कुछ समय बाद उन्होंने देखा कि धीरे-धीरे सूरज अस्त होने जा रहा है ,लेकिन सूरज की जो छाया है वह अभी तक पेड़ की छाया अभी तक आगे नहीं बढ़ी है । तभी गांव के लोग मैं देखा कि एक साधु महात्मा एक पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान लगा रहे हैं तब पास में आए और बोले कि महाराज आप यहां से खड़े होकर  गांव के अंदर चले और तप करें क्योंकि यहां पर भूतों का आक्रमण और नकारात्मक शक्तिया निकलती है। इसलिए आपसे निवेदन है कि आप गांव के अंदर चले वही पूजा पाठ संपन्न करे। पालोजी महाराज ने ग्रामीणों को समझाया कि आप अपने घर जाएं मैं यहीं पर तप करूंगा।
  काफी देर समझाइस के बाद गांव वाले लोग अपने घरों की ओर प्रस्थान करने लगे और रात होते ही धीरे-धीरे भूतों का प्रभाव हौने लगा तो पालो जी महाराज ने अपने गुरु महाराज का ध्यान कर उनको अपने बस में कर लिया और उनको शांत कर दिया ।
सुबह उठकर देखा तो गांव वालों ने कहा यह कोई न कोई सिद्ध महात्मा पुरुष होगा तो उनके पास आकर बैठ गए और भगवान की भक्ति में लीन हो गए।
धीरे-धीरे समय का पहिया चलता रहा और गांव के सभी लोग पालोजी महाराज के कहने पर भगवान का ध्यान करने लगे और 36 नियमों को अपने जीवन में उतारने लगे, लेकिन कुछ समय बाद उस गांव में अकाल पड़ गया जिस कारण वहां पर गरीबी, भूखमरी होने लगी तो धीरे-धीरे गांव के लोगों ने उस गांव को छोड़ने का विचार बनाया और 1 दिन उस गांव से निकलने लगे। यह देख पालोजी  महाराज ने गांव वाले लोगों से कहा कि आप अपनी जन्ममूमि पर रह कर सकते हैं तब ग्रामीण बोले महाराज ऐसा संभव नहीं है अकाल पड़ चुका है ,हमारे बीवी बच्चे भूखे मर जाएंगे अगर हम अब कमाएंगे नहीं तो हमारे बच्चे रोटी कैसे खाएंगे।
पालो जी महाराज ने कहा आप यहां बैठिए और अपने गुरु का ध्यान करिए, विश्वास रखिए।
आपके खाने का प्रबंध आज से मेरा होगा इस पर गांव वालों ने सहमति जताई और पालोजी महाराज के साथ हरिकीर्तन करने लगे, पालोजी महाराज के पास एक गुदरी हुआ करती थी। जिससे हमेशा गांव वालों को अपने गुदड़ी के नीचे से एक एक धान का कटोरा देते थे, सब को खाना खिलाते थे । इस प्रकार गांव वालों के लोगों पर एक चमक आने लगी।
ऐसे समय बीतता चला गया तब कुछ बुजुर्ग लोगों ने कहा कि महाराज जी हमें यह अच्छा नही लगता कि हम बिना कोई काम किए हुए ,आप से हमेशा ही रोटी खाएं इसलिए हमें कोई ना कोई आप काम बताएं।
इस पर पालोजी महाराज ने प्रत्युत्तर में बताया कि अगर आपको अच्छा महसूस नहीं हो रहा है तो आप एक काम कीजिए आप सभी लोग मिलकर यहां पर एक जोहड़ का निर्माण करते हैं ।
जो कि आपके लिए तथा आपके नई पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी साबित होगा।
पालोजी महाराज की बात से सहमत होकर सभी गांव वालों ने उनके साथ मिलकर एक जोहड़ का निर्माण कर दिया।
जो कि आज भी चाऊ ग्राम में मौजूद है और पालोजी महाराज की गूदड़ी को अब पालोजी महाराज के समाधि स्थल पूनरासर के मंदिर में रखवा दिया गया और प्रत्येक चैत्र मास की सप्तमी को उस गुदरी का दर्शन सभी भक्तजनों का कराया जाता है।
प्रत्येक चैत्र मास की सप्तमी को उस गुदरी के ऊपर की चादर हटाकर नयी चादर लगाने की प्रथा बन चुकी है।
इस प्रकार जसनाथी संप्रदाय के दूर-दराज से  भक्तगण चैत्र मास की सप्तमी को पूनरासर जाकर पालो जी महाराज की गुदरी का दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना को पूरी करते हैं
।। बोलो पालोजी महाराज की जय ।।
!! सिद्धाचार्य श्री जसनाथ जी महाराज की जय ।।


पालोजी महाराज की गुदरी के दर्शन करने वाले सभी भक्तजनों को हार्दिक शुभकामनाएं।
🙏समाजसेवी सादुल नाथ सिद्ध 🙏


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