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महन्त श्री धर्मनाथ जी एवं धापू देवी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
महन्त श्री धर्मनाथ जी एवं धापू देवी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
किसी ने सच्च ही कहा है की
"माता पिता तो ईश्वर की सौगात है"
"इनके प्रयास से ही हमारी पहचान है"
"माता पिता तो ईश्वर की सौगात है"
"इनके प्रयास से ही हमारी पहचान है"
बीकानेर के साधूणा गांव में श्री धर्मनाथ जी का जन्म एक किसान परिवार मे हुआ। धर्म नाथ जी भाम्भू सिद्ध थे। आपने 13 माह की उम्र में अपने पिताजी को खो दिया, इनके परिवार पर दूखो का पहाड़ टूट पड़ा था। आपके पिताजी का स्वर्गवास हो जाने के बाद श्री जसनाथ जी महाराज की मुख्य धाम कतरियासर के महंत सुल्तान नाथ जी ने आपको चादर भेंट कर श्री जसनाथ बाड़ी साधुना का महंत बनाया और जिम्मेदारी सौंपी।
आपने विपरीत परिस्थितियों में थोड़ी बहुत शिक्षा ग्रहण कर अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए खेती करना प्रारंभ कर दिया और आप हमेशा पशु पक्षियों की सेवा करना , तालाबों के पास पौधे लगाना , सफाई करना अपने दैनिक कर्म मानने लगे।
आपने साधुना बाड़ी में जागरण चौकी ,पानी की व्यवस्था के लिए टंकी, छायादार पेड़ तथा बाहर से पधारने वाले भक्त जनों को कोई समस्या न हो इसलिए आपने काफी प्रयास किए।
आप की प्रेरणा से ही साधूना गांव में श्री जसनाथ सागर तालाब ध,सागर तालाब जैसे पर्यावरण हितैषी कार्य आज भी हो रहे हैं।
आप सादा जीवन और उच्च विचार के धनी थे ,आपने हमेशा अपने जीवन को लोगों के कल्याण के लिए न्योछावर कर दिया।धीरे-धीरे समय चलता रहा और आपने सिद्ध समाज में पहले ऐसे पुरुष होंगे जिन्होंने 90 बरस तक बाड़ी के महंत बनकर बाड़ी को विकसित किया।
आप का स्वर्गवास विक्रम संवत 2063 को हुआ तथा उसके बाद साधुना गांव में आपकी बैंकूटी निकाली गई। आज भी साधुना गांव के जसनाथ मंदिर में जो भी भक्त आते हैं सभी के लिए आप एक वरदान है।
आपके द्वारा किए गए प्रयास प्रशंसनीय और सराहनीय है। आपके पांच रत्न श्री महन्त श्रवण नाथ जी ,महन्त ईश्वर नाथ जी , मोटनाथ जी, समाजसेवी सादुलनाथ जी (महामंत्री, अखिल भारतीय जसनाथी महासभा), हरखनाथ जी मे आज भी आपकी झलक दिखाई देती है।
नानाजी मूझे आज भी याद है की जब मैं छोटा था तब मेरे नाभी (सूंडी) बड़ी थी तो आप मुझे हमेशा मजाक में सुंडिया कहा करते थे, आपके वो कहने का वो अंदाज आज भी आंखों में कभी-कभी उभर कर आ जाता है।
आपने साधुना बाड़ी में जागरण चौकी ,पानी की व्यवस्था के लिए टंकी, छायादार पेड़ तथा बाहर से पधारने वाले भक्त जनों को कोई समस्या न हो इसलिए आपने काफी प्रयास किए।
आप की प्रेरणा से ही साधूना गांव में श्री जसनाथ सागर तालाब ध,सागर तालाब जैसे पर्यावरण हितैषी कार्य आज भी हो रहे हैं।
आप सादा जीवन और उच्च विचार के धनी थे ,आपने हमेशा अपने जीवन को लोगों के कल्याण के लिए न्योछावर कर दिया।धीरे-धीरे समय चलता रहा और आपने सिद्ध समाज में पहले ऐसे पुरुष होंगे जिन्होंने 90 बरस तक बाड़ी के महंत बनकर बाड़ी को विकसित किया।
आप का स्वर्गवास विक्रम संवत 2063 को हुआ तथा उसके बाद साधुना गांव में आपकी बैंकूटी निकाली गई। आज भी साधुना गांव के जसनाथ मंदिर में जो भी भक्त आते हैं सभी के लिए आप एक वरदान है।
आपके द्वारा किए गए प्रयास प्रशंसनीय और सराहनीय है। आपके पांच रत्न श्री महन्त श्रवण नाथ जी ,महन्त ईश्वर नाथ जी , मोटनाथ जी, समाजसेवी सादुलनाथ जी (महामंत्री, अखिल भारतीय जसनाथी महासभा), हरखनाथ जी मे आज भी आपकी झलक दिखाई देती है।
नानाजी मूझे आज भी याद है की जब मैं छोटा था तब मेरे नाभी (सूंडी) बड़ी थी तो आप मुझे हमेशा मजाक में सुंडिया कहा करते थे, आपके वो कहने का वो अंदाज आज भी आंखों में कभी-कभी उभर कर आ जाता है।
आपका दौहीता
लोकेश
लोकेश
🌺आपके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम एवं नमन🌺
🙏🙏 श्रृद्धान्वत 🙏🙏
समस्त भाम्भू परिवार
साधुणा
समस्त भाम्भू परिवार
साधुणा
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हटाएंDadaji dadaji ko koti2 nmam
जवाब देंहटाएं🙏🙏
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