जसनाथ जी - जीव हत्या सबसे बड़ा पाप है
Sri Guru Jasnath Ji Maharaj
जसनाथ जी महाराज ने लोहा पांगल को जीव हत्या रोकने के लिए उसे जीव हत्या के बारे में होने वाले पाप और दोष के बारे में बताया
जसनाथ जी महाराज हमेशा पर्यावरण प्रेमी, पशु प्रेमी और जीव कल्याण के बारे में अपने विचार रखा करते थे
जसनाथ जी महाराज ने अपने द्वारा दिए गए 36 नियमों में भी कहा है भूख मरो पण जीव ने भखो
अर्थात हे मानव तुम पल दो पल भूखे रह सकते हो लेकिन किसी जीव को मारकर अपनी भूख शांत करना उचित नहीं होता।
है प्राणी !
गाय भैंस बकरी इनका दूध पीना चाहिए
परमात्मा ने इन्है अमृत का भण्डार बनाया है
इन्हें गला काटकर नहीं खाना चाहिए।
हे प्राणी !
यदि गला काटना अच्छा है तो अपना ही गला क्यों नहीं काटते
पैरों में थोड़ा सा कांटा चुभते ही तुम थर थर कांपने लगते हो।
लेकिन तुम्हें पर पीड़ा को भी इसी प्रकार समझनी चाहिए
तुम कुंडा धोते हो छोरी को धार देते हो,रक्त की महिमा का बखान करते हो।
ऐसा कर्म करने वाले भी यदि यह सोचे कि उन्हें स्वर्ग मिले
तो वह नीर् अज्ञानी है
मिथ्याचारियों को भी यमराज उसी प्रकार दंडित करते हैं जिस प्रकार भाड़ धान को घूमता है।
धन्यवाद
लोकेश सिद्ध
Sri Guru Jasnath Ji Maharaj
जसनाथ जी महाराज ने लोहा पांगल को जीव हत्या रोकने के लिए उसे जीव हत्या के बारे में होने वाले पाप और दोष के बारे में बताया
जसनाथ जी महाराज हमेशा पर्यावरण प्रेमी, पशु प्रेमी और जीव कल्याण के बारे में अपने विचार रखा करते थे
जसनाथ जी महाराज ने अपने द्वारा दिए गए 36 नियमों में भी कहा है भूख मरो पण जीव ने भखो
अर्थात हे मानव तुम पल दो पल भूखे रह सकते हो लेकिन किसी जीव को मारकर अपनी भूख शांत करना उचित नहीं होता।
है प्राणी !
गाय भैंस बकरी इनका दूध पीना चाहिए
परमात्मा ने इन्है अमृत का भण्डार बनाया है
इन्हें गला काटकर नहीं खाना चाहिए।
हे प्राणी !
यदि गला काटना अच्छा है तो अपना ही गला क्यों नहीं काटते
पैरों में थोड़ा सा कांटा चुभते ही तुम थर थर कांपने लगते हो।
लेकिन तुम्हें पर पीड़ा को भी इसी प्रकार समझनी चाहिए
तुम कुंडा धोते हो छोरी को धार देते हो,रक्त की महिमा का बखान करते हो।
ऐसा कर्म करने वाले भी यदि यह सोचे कि उन्हें स्वर्ग मिले
तो वह नीर् अज्ञानी है
मिथ्याचारियों को भी यमराज उसी प्रकार दंडित करते हैं जिस प्रकार भाड़ धान को घूमता है।
धन्यवाद
लोकेश सिद्ध
supar bhai ji
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