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🌳*इको जसनाथी* पर्यावरण संरक्षण की एक विनम्र पहल🌳
Shyam Sundar Juanita ki kalam se
     मध्यकाल में भारत भूमि पर अनेक सन्तों ने धर्म के दार्शनिक पक्ष की जनसाधारण की भाषा में विवेचना करते हुए धर्म के वास्तविक मर्म से आम लोगों को परिचित कराने का प्रयास किया। बीकानेर की मरुस्थलीय भूमि पर सिद्धाचार्य जसनाथ जी ने जनभाषा में तत्कालीन समाज की बुराइयो को दूर करने व आम जन को सन्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करने के मकसद से  36 नियमों का प्रतिपादन किया। ये 36 नियम मनुष्य को प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हैं। संयोग से जसनाथ जी व मेरा गौत्र एक ही है जसनाथ जी श्री हमीर जी ज्याणी के पुत्र थे।
      जसनाथी होने के नाते मैं लम्बे समय से यह महसूस कर रहा था कि हम जसनाथ जी की शिक्षाओं की गहराई को पकड़ नहीं पाए हैं। जसनाथ जी महाराज ने अपने हाथ से जाल (salvadora parsica) का पेड़ लगाया और सभी जीवों के प्रति दया का भाव रखने का उपदेश दिया इतना ही नहीं उन्होंने हरिणों की रक्षा के लिए विशेष उपाय करने का उपदेश दिया। ये उपदेश उनके 36 नियमों का हिस्सा हैं (4.भूख मरो पण जीव ना भखो 19. साटियो सौदा वर्जित ताई20. बैल बढ़ावन पावे नाही 21.मृगां बन में रखत कराई 22.घेटा बकरा थाट सवाई 23. दया धर्म सदा ही मन भाई 27. देही भोम समाधि लीजे ) उक्त नियम यह साबित करते हैं कि जसनाथ जी कितने दूरदृष्टा थे। लेकिन अधिकांश जसनाथी इन नियमों के प्रति उदासीन हैं। सभी जसनाथी उनके पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी नियमों को अपने जीवन में उतारे ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ -साथ शेष समाज को भी प्रेरणा मिले इसी मकसद से जसनाथ जी के 5 दिवसीय मेले में मुख्य धाम कतरियासर में फलदार पौधों को प्रसाद स्वरूप वितरित करने की पहल की जा रही है। ताकि अधिकाधिक श्रद्धालु पारिवारिक वानिकी के विचार से जुड़कर पेड़ को परिवार का सदस्य बनाकर जसनाथ जी की शिक्षाओं को जीवन में उतारें। अगले वर्ष से जसनाथ जी से जुड़े सभी स्थलों पर यह रूँख प्रसाद वितरित करने का प्रयास रहेगा। इस हेतु हम सबने मिलकर #ECOJASNATHI *इको जसनाथी* समूह का गठन किया है। मेरे निवेदन पर सिद्ध युवा महासभा ने यह बीड़ा उठाया है मैं श्री अर्जुन नाथ जी व श्री बीरबलनाथ जी और महासभा के तमाम बन्धुओं को इस सकारात्मक पहलकदमी के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।
कतरियासर में मेला स्थल पर डीजे के प्रवेश को वर्जित करने का निर्णय मेला कमेटी ने लिया है जो कि बेहद सराहनीय कदम है। जसनाथ जी के नागौर स्थित पांचला धाम में डीजे के साथ-साथ प्लास्टिक पर भी पूर्ण पाबन्दी है कतरियासर में भी अगले साल से प्लास्टिक मुक्त मेला आयोजित हो इस हेतु सबको मिलकर प्रयास करने हेतु प्रेरित करने की कौशिश मेरे द्वारा जारी है।
हम सभी जसनाथी यदि जसनाथ जी की पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी शिक्षाओं को अपनाना शुरू कर देंगे तो यह एक बड़ी पर्यावरणीय क्रांति होगी जो हमारे आस -पास रहने वाले भाई -बन्धुओं को भी इस राह पर चलने हेतु प्रेरित करेगी। 

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