जसनाथ जी अवतार दिवस

संवत पंद्रासे वर्ष ऊंन्चाले , मास कार्तिक ने पंख ऊजवाले ।
एकादशी ने चंद्र वारो , ऊण दीन धरतीमें प्रगट अवतारो ।
गढ बिकाणो कत्रियासर कहीये , जाणी जाट हमीर जी रहीये ।
आधी रेण रो सपनो दर्शायो , जोगी जटाधर गुरू गोरख आया
ऊठो हमिरा वचन सम्भाओ ,
बालक प्रगटीयो डाबले जाओ ।
पानां फूलां में घर ले आओ ।
मानव नंही छे देव दरशाया ,
जुग में जादुपती क्रपा कर आया ।

#सिद्धाचार्य_श्री_देव_गुरु_जसनाथ_जी_महाराज के 537 वें #अवतार_दिवस की आप सबको बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं
श्री जसनाथ जी महाराज का अवतार संवत 1539 कार्तिक शुक्ला 11 वार शनिवार के दिन हुआ था
और सिर्फ 24 वर्ष की आयु में संवत 1563 आश्विन शुक्ला सप्तमी को जीवित समाधि लिया/ अंतर्ध्यान हो गए
#श्री_देव_जसनाथ_जी_महाराज_की_कृपा_आप_सब पर हमेशा बनी रहे

श्री देव जसनाथ जी महाराज के अवतार के समय मे प्रदेश की जनता भ्रष्ट तांत्रिकों , सामान्य जनता शराब, मांस, लूट , डकैती एवं उन्मुक्त वातावरण के प्रकोप से जनता परेशान व भयभीत थी उस समय राजस्थान में श्री देव जसनाथ महारज ने अपनी योग शक्ति भगवान की भक्ति व सिद्धि से जसनाथ सम्प्रदाय चला कर इस आंधी को रोका जनता को सनातन 36 नियम बता कर सही रास्ता दिखाया और जनता का कल्याण किया व सनातन धर्म को मजबूती दी,

श्री देव जसनाथ जी महाराज के बताए 36 नियम का पालन करें सुखी जीवन जियें

 जसनाथी सम्प्रदाय का विधिवत प्रवर्तन वि.संवत् 1561 में रामूजी सारण को छतीस धर्म-नियमों के पालन की प्रतीज्ञा करवाने पर हुआ। रामूजी सारण का विधिववत दीक्षा-संस्कार स्वयं सिद्घाचार्य जसनाथजी ने सम्पन्न करवाया था। सिद्घाचार्य जसनाथजी का आविर्भाव पावन पर्व काती सुदी एकादशी देवउठणी ग्यारस वार शनिवार को ब्रह्मा मुहूर्त में हुआ। 

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