सिद्ध ठुकरो जी

 'सिद्ध ठुकरो जी' 

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सिद्ध पुरुष कठै जन्मया

 किस्यै गाँव में जन्मया 

कदै जन्मया

 ऐ बाताँ गोण हुवै 

घणो मायनो कोनी राखै।

 

सिद्ध पुरुसाँ गो तप ही बाँगो जीवन परिचय हुया करै। 


पण अठै जिज्ञासा वश बतावणो जरुरी भी है। 

ठुकरोजी श्री डूँगरगढ तहसील रै गाँव बोदियै कल्याणसर गा कलवानिया सिद्ध हा। 

ठुकरो जी सिद्ध रुस्तमजी सागै जाण आळै दस लँफरा  में भैळा हा। 


दिल्ली ओरंगजेब पर फतैह रै बाद आप गाँव कल्याणसर में जीवँत समाधि ली ही। 

ठुकरोजी री कथ्योड़ा सबद सिद्ध साहित्य री अमूल्य धरोहर है। 


डूडण सती ठुकरो जी रा माता हा। 


'डूडण सती '

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ठुकरो जी रै पिताजी रो नाँव सायर नाथ जी हो 


सायरनाथ जी एक बारी  गठ जोड़ै री जात लगावणै खातर कतरियासर गया हा

 बठै कतरियासर स्यूँ दो कोस पैलाँ सायरजी नै 'पान' लाग ग्यो। 

सायरनाथ जी 

 गुरु महाराज स्यूँ अरदास करी कै महाराज म्हारी धौक पूरी हु ज्याँवती तो जमारो सुधर ज्यावँतो। 


गुरु महाराज गी कृपा स्यूँ सायरजी कतरियासर पूग्या।

धौक लगावणै रै बाद बाँ 

 बठै ही जीवित समाधि ली। 


डूडण सती सायर जी रै सागै ही हा

 बै बठै स्यूँ सीधा आपगै पीअर बिलणियासर ढूक्या। आँ सतीजी रो नाम पूनम बतावै 

और 


बाँ बिलणियासर में जीवित समाधि गी इच्छा जाहिर करी। 

भायाँ बात मानी कोनी। 

बोल्या

 जीवँतै नै ही कदैई बुरै करै कै। 


सतीजी आपगो तय समय बता दियो कै मैं फलाणै समय समाधि लैवूँला। 

समाधि गी तैयारी करो। 

भाईयाँ जवाब दै दियो 


बठै कोई ऐवड़ गो ग्वाळियो ढाको जाट हो 

बाँ ढाका जाट कैयो 

बाई थारै ऊपर भगवान री कृपा हुई तो अतौ काम हूँ  ई कर दैस्यूँ 

बाँ सतीजी गी समाधि खोद गै तैयार करी। 

और सतीजी यथा समय स्वर्गारोहण करग्या। 

और आशीर्वाद दै ग्या कै 

'डूडी गी खै ढाका गी जै '


ओ आशीर्वाद कतौक साचो है 

कमैन्टस बतावैला। 


'सुरतो जी '

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सिद्ध सुरतोजी

 सिद्ध ठुकरोजी रा बेटा हा। 

आप भी आपगै पिताजी सागै दिल्ली फतैह वास्तै ग्या। 

रुस्तमजी रै सागै दस लँफरा में ठुकरोजी सुरतोजी जी बाप बेटो दोनूँ भैळा हा। 

आ बात मुठठी भर कलवाणीयाँ सिद्धा़ं नै गौरवान्वित करणै आळी है। 


एक बारी सुरतोजी जी रै घर आळी गाँव गै कुआ स्यूँ पाणी ल्याण ग्या। 

कुआ पर भीड़ ज्यादा ही 

कणैई ठोसो मार दियो कै 


घणी उँतावळ है तो कुओ खुदवा ल्यो 


ऐ बोल सुरतोजी गै घर आळी गै काळज्यै में लाग ग्या। 

घरै आ गै सुरतोजी आगै बात करी। 

सुरतोजी चिंता में पड़ग्या। 


रात नै सुरतोजी नै आकाशवाणी हुयी कै फलाणी जग्याँ थारै नारै गाडै स्यूँ सीला पड़ैली 

बठै कुओ खुदवा लैया 

पाणी मिठो निकळसी। 


सुरतोजी नारो गाडो स्यूँ रवाना हुगै 

अबार जठै झंझेऊ गाँव बसैड़ो है बीँगै दिखणादै पासै 

सुडसर आळै कच्चै गैलै पर गाडै स्यूँ सीला नीचै पड़गी। 


बठै सुरतोजी कुओ खोदयो 

मीठो पाणी निकळयो। 


भाग जोग स्यूँ एकदिन बठै लिखमादेसर रा जैसोजी सिद्ध पधारया। 

जैसो जी वचन सिद्ध हा 


सुरतोजी जैसोजी नै आप रै कुआ रै बारै में बतायो। 


तो जैसोजी भी कुओ दैखणै गी इच्छा जाहिर करी। 


कुआ पर जा गै जैसोजी पूच्छयो कुआ रो काँई नाम राख्यो है तो 

सुरतोजी पड्उतर दियो 

'सुरतसागर'

जैसोजी स्यूँ आ बडाई सुणीजी कानी बाँ

वचन दै दियो 

'सूरत सागर राख रो आगर '

अतौ कैवँता ही 

कुआ में पाणी री जग्याँ राख हुगी ।


थोड़ा दिनाँ बाद अठै लिखमादेसर मंहन्त धनराजजी पधारया। 


सुरतोजी धनराजजी रै आगै पुकार करी कै म्हारै कुआ में तो पाणी री जग्याँ राख हुगी। 


धनराजजी बोल्या जैसो आयो कै। 


सुरतोजी बोल्या 

आया हा कुओ भी दैख्यो। 


धनराजजी गाँव पाछा आगै जैसोजी नै औळमो दियो। 


जैसो जी पाछा झंझेऊ ग्या। 


सुरतोजी जी नै दुबारा पूच्छयो 


कुआ रो काँई नाँव राख्यो है 

सुरतोजी बोल्या 

'सुरत सागर'


जैसो जी बोल्या 


'सुरत सागर जळ गो आगर 

झक मरावै जैसीयो नागर '


अतौ कैवँता ही कुआ रो पाणी मिठो  हुग्यो। 


ओ कुओ अबार भी मौजूद है और सिद्धाँळो कुओ नाँव स्यूँ ओळखिजै। 


सुरतोजी जी री जीवित समाधि झंझेऊ गाँव रै बीचाळै सिद्धांआळै कुआ स्यूँ 

उतराधै पासै है। 


सुरतोजी जी रा कथ्योड़ा सबद भी सिद्ध साहित्य गी घणी शोभा बढावै। 


झंझैऊ गाँव एन एच 11पर है। 


बाद में अठै झीँझा जाट आ गै बस्या बाँ भी अठै कुओ खुदायो। 


ओ सगळो वृतांत स्मृतिकोष स्यूँ ही लियोड़ो है। 


म्हारै कनै ईँ रो कोई तथ्य नी है। 

सही है तो सही है 

गळत है तो गळत है। 

अती जाणकारी पूगती करणै खातर धन्यवाद दैवो तो भाभला। 

न देवो तो 

भाभला 

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