पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित प्रो. श्याम सुंदर ज्याणी जी, राजकीय डूंगर महाविद्यालय में कार्यरत हैं। उनके प्रयासों से बंजर भूमि हरे-भरे जंगलों में परिवर्तित हो रही है।
डूंगर महाविद्यालय का हरित कायाकल्प
2012-15 के दौरान यह महाविद्यालय बंजर था, लेकिन आज यह एक हरित परिसर बन चुका है। चारों ओर फैली हरियाली छात्रों को शांति और सुकून का अनुभव कराती है।
पारिवारिक वानिकी: एक अनूठी पहल
पेड़ों को परिवार मानते हुए, प्रो. ज्याणी ने ‘पारिवारिक वानिकी’ अभियान शुरू किया। इस पहल के तहत, सैकड़ों एकड़ भूमि को हरियाली से आच्छादित किया गया है।
डाबला तालाब का पुनरुद्धार ( जसनाथ जी महाराज की अवतार स्थली)
लूणकरणसर के डाबला तालाब के आसपास बंजर भूमि को पुनः हरा-भरा बनाने के लिए उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से 207 एकड़ क्षेत्र में जंगल विकसित किया। यह अब जैव विविधता केंद्र एंव पर्यावरण तीर्थ बन चुका है।
पर्यावरण संरक्षण में सामाजिक भागीदारी
- रुख प्रसाद: लोगों को पौधों का वितरण कर पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाता है।
- लीली लाग और रूँख रीत: पर्यावरण प्रेमी अपने मांगलिक कार्यक्रमों में वृक्षारोपण का संकल्प लेते हैं।
शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण
उनके विकसित पारिवारिक वानिकी मॉडल को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।